शिमला. हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार में मुख्य संसदीय सचिव (CPS) की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर हिमाचल हाईकोर्ट का बड़ा फैसला बुधवार को सामने आया है. इसमें CPS से सभी सुविधाएं वापस लेने के आदेश दिए गए हैं. कोर्ट ने तुरंत प्रभाव से CPS पद से हटाने के आदेश दिए हैं. विधायकों को पब्लिक ऑफिस प्रयोग करने का अधिकार नहीं है. विधायक सतपाल सत्ती सहित और भाजपा के 11 अन्य विधायकों ने CPS की नियुक्ति को चुनौती दी थी. याचिका के माध्यम से भाजपा विधायकों ने हिमाचल हाईकोर्ट के समक्ष मांग रखी थी.
याचिका के माध्यम से भाजपा विधायकों ने हिमाचल प्रदेश पार्लियामेंट्री सेक्रेटरी एक्ट 2006 को खारिज करने की मांग रखी है. सुक्खू सरकार में पालमपुर से विधायक आशीष बुटेल, अर्की से विधायक संजय अवस्थी, बैजनाथ से विधायक किशोरी लाल, दून से विधायक राम कुमार, कुल्लू से विधायक सुंदर ठाकुर और रोहड़ू से विधायक मोहन लाल ब्राकटा को सीपीएस बनाया था. सरकार इन्हें कई सुविधाएं दे रखी हैं. इन्हें मंत्रियों जैसा वेतन, गाड़ी, दफ्तर और स्टाफ दिया गया है.
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असम में संसदीय सचिवों की नियुक्ति से जुड़े एक्ट को सुप्रीम कोर्ट ने बताया गैरकानूनी
याचिका में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट, असम और मणिपुर में संसदीय सचिवों की नियुक्ति से जुड़े एक्ट को गैरकानूनी ठहरा चुका है; इसकी जानकारी होने के बावजूद, हिमाचल में कांग्रेस सरकार ने अपने विधायकों को CPS बनाया. हिमाचल में मंत्रियों और CPS की कुल संख्या 15% से ज्यादा हो गई. इस केस की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की अपील पर CPS बने सभी कांग्रेसी विधायकों को व्यक्तिगत तौर पर प्रतिवादी बना रखा है.
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FIRST PUBLISHED : November 13, 2024, 16:01 IST